Wednesday, 15 July 2015

मोहब्बत का इम्तहान

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तुम टेनिसन की सरिता
और मैं ब्रह्मपुत्र का उफान,
अरे पगली क्यूँ ले रही हो
तुम मेरी मोहब्बत का इतना इम्तहान |
मुझे नहीं पता
कि क्या पैमाना तय किया है
तुमने इस इम्तहान का,
पर गर मैं पास हो गया
1st division  से,तो बोलो 
क्या दोगी तुम मुझे इसका इनाम |
वैसे तो मैं इस परीक्षा में
distinction  भी ला सकता हूँ 
और कुव्वत है इतनी मेरी की
कुछ विषयों में तो मैं
100\100 लाऊँ 
पर डरता हूँ
कहीं तुम दबाव में ना आ जाओ |
क्योंकि सुना है लोगों से मैंने
कि दबाव में लोग या तो निखरते हैं
या फिर बिखर जाते हैं |
तुम्हारा निखरना तो
मेरी मोहब्बत  को मोक्ष दिलाएगा 
पर गर तुम बिखर गई तो
ये मुझे ताउम्र रुलाएगा |
ऐसा नहीं है कि मैं
तुम्हारी कश्मकश नहीं समझता 
पर मेरा बावरा मन
इस इम्तहान में पास होने को है मचलता|

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